युग-पुरुष महन्त दिग्विजयनाथ जी महाराज
लोकसभा के मंच से
सन् 1967 में महंतजी ने गोरखपुर संसदीय निर्वाचन क्षेत्र से हिन्दू महासभा के प्रत्याशी के रूप में कांग्रेस के प्रत्याशी को पराजित कर लोकसभा का चुनाव जीता। लोकसभा में वे हिन्दू महासभा के एक मात्र सदस्य थे। अकेले होते हुए भी लोकसभा के प्रत्येक वाद-विवाद में अपनी वाग्मिता, चातुर्य एवं प्रत्युत्पन्नमतित्व के कारण उन्होंने सदैव सबका ध्यान आकर्षित किया। यों तो उनकी हिन्दू राष्ट्रवादी विचारधारा के कारण मुसलमानों और साम्यवादी सदस्यों में उत्तेजना का वातावरण उत्पन्न हो जाता था तथापि वे अपने विचारों को निर्भीकता के साथ अभिव्यक्त करने से चूकते न थे। नक्सलियों की समस्या पर उन्होंने सदैव कम्युनिस्टों को ललकारा। परिवार नियोजन के प्रश्न पर हिन्दू हितों की हमेशा वकालत की। गोरक्षा अभियान का अखिल भारतवर्षीय स्तर पर नेतृत्व किया। पूर्वोंत्तर रेलवे की छोटी लाइन को बड़ी लाइन के रूप में परिवर्तित करने की स्वीकृति उन्हीं के प्रयास से मिली।
नाथ पंथ का प्रचार और प्रसार
गोरखनाथ मंदिर के महंत के रूप में महंत दिग्विजयनाथ जी ने नाथपंथी मंदिरों और मठों को संगठित करने का प्रयास किया। इन मठों में रहने वाले योगियों को उन्होंने उनके सामाजिक दायित्व से परिचित कराया। नाथ पंथ संबंधी साहित्य के उद्धार का भी उन्होंने सम्यक् प्रयास किया। उन्होंने प्रामाणिक विद्वानों से अनेक ग्रन्थों का प्रणयन कराया। महंत दिग्विजय नाथ ट्रस्ट और गोरखनाथ मंदिर की ओर से अनेक ग्रन्थ प्रकाशित हुए। ‘फिलॉसफी आफ गोरखनाथ’ पुस्तक की सराहना महामहोपाध्याय पं. गोपीनाथ कविराज एवं पं. हजारी प्रसाद द्विवेदी प्रभृति विद्वानों ने की है। इस बहुप्रशंसित पुस्तक का हिन्दी अनुवाद भी गोरखदर्शन के नाम से प्रकाशित हो चुका है। ट्रस्ट तथा मंदिर ने उनके सानिध्य मे निम्नांकित प्रकाशन भी कराया:-
- हिन्दू धर्म और संस्कृति (हिन्दी)
- आदर्श योगी योगिराज गम्भीरनाथ (हिन्दी)
- नाथ योग एक परिचय (हिन्दी)
- योगिराज गम्भीरनाथ (अंग्रेजी)
- नाथ योग (अंग्रेजी)
- योग रहस्य (हिन्दी)
- आदर्श योगी (हिन्दी)
- एक सत्यान्वेषी के अनुभव (अंग्रेजी)
- गोरख दर्शन (हिन्दी)
इन पुस्तकों के प्रकाशन के अतिरिक्त महंतजी ने एक विशाल पुस्तकालय की भी स्थापना की है, जिसमें नाथ योग तथा हिन्दू धर्म और संस्कृति से संबंधित सहस्त्रों पुस्तकें संग्रहीत हैं। इस पुस्तकालय का निरन्तर विकास किया जा रहा है। भारतीय धर्म और साहित्य पर शोध करने वाले छात्रों के लिए इस पुस्तकालय को व्यवस्थित करने का प्रयास चल रहा है।