राष्ट्र सन्त महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज
महाराणा प्रताप शिक्षा परिषद् के अन्तर्गत 1949-50 में स्थापित महाराणा
प्रताप महाविद्यालय को गोरखपुर विश्वविद्यालय की स्थापना हेतु 1958 ईस्वी में महन्त
दिग्विजयनाथ जी महाराज द्वारा समर्पित कर दिये जाने की स्मृतियों को संजोये महन्त
अवेद्यनाथ जी महाराज ने पुनः 2005 ईस्वी में जंगल धूसड़ में महाराणा प्रताप
महाविद्यालय तथा 2006 ईस्वी में गोरखपुर महानगर के रामदत्तपुर में महाराणा प्रताप
महिला महाविद्यालय की स्थापना की। शिक्षा के साथ-साथ स्वास्थ्य सेवा के क्षेत्र में
भी गुरुश्री गोरखनाथ चिकित्सालय, गुरुश्री गोरखनाथ योग संस्थान तथा महन्त
दिग्विजयनाथ आयुर्वेदिक चिकित्सालय की स्थापना एवं उनका उत्तरोत्तर विकास महन्त
अवेद्यनाथ जी महाराज की जन-सेवा के क्षेत्र की उल्लेखनीय उपलब्धि है, जिनके माध्यम
से उनकी यशगाथा पुष्प के सुगन्ध की तरह प्रसरित है।
महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज का विराट व्यक्तित्व एक ऐसे मनीषी का विराट स्वरूप है
जिसमें ‘धर्म’ का साक्षात् दर्शन होता है। उन्होंने भारतीय राजनीति को एक नयी दिशा
दी; कथित धर्मनिरपेक्ष राजनीति की दूषित अवधारणा को नकारते हुए धर्माधिष्ठित
राजनीति की प्रतिष्ठा की। भारतीय समाज में ‘जातिवाद’ की विषबेलि को समूल उखाड़ फेंका
और बिना किसी की परवाह के सामाजिक समरसता का मूलमंत्र देकर भारतीय धर्मगुरुओं का
नेतृत्व किया तथा छुआछूत जैसी कुरीतियों के विरुद्ध जन-जागरण अभियान छेड़कर हिन्दू
समाज को एकता का पाठ पढ़ाया। शिक्षा और स्वास्थ्य को जन-सेवा का आधार बनाकर ‘परहित
सरिस धर्म नहिं भाई’ उक्ति को चरितार्थ किया। श्रीराम जन्मभूमि मुक्ति आन्दोलन के
बहाने पंथों के नाम पर बँटे धर्मगुरुओं को एक मंच पर लाकर राष्ट्रीय स्वाभियान तथा
सांस्कृतिक राष्ट्रवाद का शंखनाद किया। महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज अपने युग के एक
ऐसे महानायक थे जिन्होंने राजनीतिक, धार्मिक, सामाजिक, शैक्षिक तथा सांस्कृतिक
क्षेत्रों में एक साथ पुनर्जागरण का उद्घोष किया। भारत के बीसवीं सदी के
उत्तरार्द्ध के तथा इक्कीसवीं सदी के प्रारम्भिक दशकों में वे जाज्वल्यमान नक्षत्र
हैं। वे ऐसे महायोगी थे जिनका अन्तःकरण समता में स्थित था, जिन्होंने जीवित
अवस्था में ही सबको जीत लिया था, जो जीव-मुक्त हो गये हैं और ब्रह्म में ही स्थित
हैं; जैसा कि भगवान् श्रीकृष्ण कहते हैं-
इहैव तैर्जितः सर्गो येषां साम्ये स्थितं मनः। निर्दोषं हि समं
ब्रह्मतस्माद्ब्रह्मणि ते स्थिताः।।
राष्ट्र सन्त का परलोक गमन
गोरक्षनाथ मन्दिर में गुरु पूर्णिमा (आषाढ़ पूर्णिमा, वि.सं. 2071) को अपने सभी भक्तों को आशीर्वाद देकर गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज मृत्युलोक से अनमनस्क से हो गये। ईश्वर की बनायी इस मायानगरी से उनकी अरुचि भाँपते हुए उनके साथ साये की तरह रहने वाले गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने 13 जुलाई, 2014 को मानव क्षमताओं के बल पर विधाता को चुनौती देने की क्षमता रखने वाले दुनिया के श्रेष्ठतम चिकित्सा संस्थानों में एक गुड़गाँव, नयी दिल्ली के पास ‘मेदान्ता मेडिसिटी’ में ले जाने की तैयारी प्रारम्भ की। पूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज ने मेदान्ता जाने से अपनी अरुचि दिखाई। गुरु-शिष्य के बीच के हठयोग में प्रकृति गुरु के साथ खड़ी हुई और एअर एम्बुलेन्स से ले जाने में अपनी असफलता महसूस करते ही ‘गोरखधाम एक्सप्रेस’ से पूज्य महन्त जी को लेकर ‘मेदान्ता’ तक पहुँच ही गये। महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज श्रेष्ठतम चिकित्सा सुविधाओं से लैश कर दिये गये और उन्हें इस धराधाम पर रोके रखने का हर प्रकार का प्रयत्न प्रारम्भ हो गया। पूज्य महन्त जी महाराज को अपने बीच बनाये रखने हेतु उपचार के साथ-साथ, ज्योतिषीय विधि-विधान एवं ईश्वरीय शक्तियों के लिए धार्मिक अनुष्ठान जैसे वे सभी प्रयास प्रारम्भ हुए जो विज्ञान एवं आस्था दोनों माध्यमों से सम्भव था। किन्तु स्वयं परमपूज्य महन्त जी महाराज का ही अब इस सांसारिक जीवन से मोहभंग हो चुका था और वे परमात्म तत्त्व के साथ एकाकार होने का हठ ठान चुके थे। बस उन्हें प्रस्थान के लिए अपनी तपःस्थली से दूर ‘मेदान्ता’ जैसा चिकित्सकीय स्थान मंजूर नहीं था। अपने आराध्य गुरु शिवावतार महायोगी गोरक्षनाथ, गुरुदेव ब्रह्मलीन दिग्विजयनाथ जी महाराज एवं स्वयं की तपःस्थली गोरक्षनाथ मन्दिर से ही ब्रह्मलोक के लिए प्रस्थान करने का जैसे उन्होंने व्रत ले रखा हो। महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज के इस संकल्प साधना के आगे विज्ञान हतप्रभ था, विधाता किंकर्तव्यविमूढ़ थे। अन्ततः शिष्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने गुरु की इच्छापूर्ति का बीड़ा उठा ही लिया और गोरक्षनाथ मन्दिर परिसर तक उन्हें लाने का वह निर्णय लिया, जो कोई योगी ही ले सकता है। योगी जी के इस निर्णय के साथ पूज्य महन्त जी की स्वयं की इच्छा से उत्पन्न उनकी प्राणिक चेतना को रोक रखने की यौगिक शक्ति थी ही, परमात्मा ने भी साक्षात् उपस्थित होकर सहयोग किया।
12 सितम्बर, 2014 को अपराह्न 4.00 बजे दिल्ली से एअर एम्बुलेंस उड़ा। गोरखपुर के आसमान में तड़कती बिजली ने स्वागत किया, बादलों ने गोरखपुर की धरती को धोकर स्वच्छ कर दिया। 15-20 मिनट की मूसलाधार बारिश के बाद बादलों ने पानी रोक लिया। एअर एम्बुलेंस गोरखपुर की धरती पर सायंकाल 6.00 बजे उतरा। साथ चल रहे मेदान्ता एवं गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय के चिकित्सक विधाता की लीला और महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की यौगिक शक्ति का साक्षात् दर्शन कर रहे थे। ...