राष्ट्र सन्त महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज
एअरपोर्ट पर पहले से तैयार गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय की एम्बुलेंस महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज को लेकर श्री गोरक्षनाथ मन्दिर परिसर की ओर चल पड़ी। योगी आदित्यनाथ जी महाराज साथ थे। उनके चेहरे पर सन्तोष झलक रहा था कि महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज अपनी इच्छानुसार गोरक्षनाथ मन्दिर पहुँचने जा रहे हैं। लगभग सायं सात बजे गोरक्षनाथ चिकित्सालय में पहले से ही पूज्य महन्त जी के लिए तैयार विशेष चिकित्सा कक्ष में उन्हें ले जाया गया। मेदान्ता से साथ आए चिकित्सक और गुरु गोरक्षनाथ चिकित्सालय के चिकित्सकों की टीम ने अपना सर्वश्रेष्ठ उपचारात्मक प्रयास प्रारम्भ कर दिया किन्तु नाथपंथ के महान साधक के सामने सभी बेबस। पूज्य महन्त जी अपनी ऐहिक यात्रा पूरी कर चुके थे। श्री गोरक्षनाथ मन्दिर परिसर तक पहुँचकर यहाँ की आध्यात्मिक आबोहवा में वे परमशान्ति पा रहे थे। लगभग दो माह तक अपने विधि-विधान को टाल देने वाले विधाता धरती के इस महामानव को अपने में समाहित कर लेने के लिए जैसे स्वयं साक्षात् हों। लगभग डेढ़ घण्टे तक चिकित्सकों की जद्दोजहद काम नहीं आयी। योगी आदित्यनाथ जी महाराज के रूप में अपना ऐहिक जीवन स्थानान्तरित करते हुए गोरक्षपीठाधीश्वर परमपूज्य महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज रात्रि आठ बजकर तीस मिनट पर ब्रह्मलोक पथ पर चल पड़े.........।
भारतीय राष्ट्रीयता के अनन्य साधक, सामाजिक समरसता के अग्रदूत, हिन्दू धर्म-संस्कृति के पथ-प्रदर्शक का मृत्युलोक को त्याग देने के समाचार से देश हतप्रभ था, शोकमग्न था। देखते-देख्ते महानगर गोरखपुर की दुकानें बन्द हो गयीं। सड़क पर सन्नाटा तोड़ते शोकाकुल नगरवासी श्री गोरक्षनाथ मन्दिर की ओर चल पड़े। जिला प्रशासन गोरक्षनाथ मन्दिर पहुँच चुका था। अश्रुपूरित नेत्र एवं रुँधे गले से पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने 13 सितम्बर को जनता दर्शन एवं 14 सितम्बर को समाधि की घोषणा की। गोरक्षनाथ मन्दिर में पशु-पक्षी सभी शान्त थे। पेड़-पौधों ने भी ऐसी चुप्पी साध रखी थी जैसे आज वे हवा के झोंकों के बीच हँसना-मचलना भूल गए हों। शोकमग्न गोरक्षनाथ मन्दिर परिसर के सन्नाटे में शान्तिपाठ का स्वर अपने आराध्य इस महामानव के परलोकगमन का साक्षी बन रहा था।
13 सितम्बर को ब्रह्ममुहूर्त से ही भक्तों का मन्दिर आना प्रारम्भ हो गया। भगवान् भास्कर भी गोरक्षपीठाधीश्वर के ब्रह्मलोक यात्रा पथ को प्रकाशित करने में लगे थे। उनकी इस लीला को मेघों ने ढक रखा था। पूज्य महन्त जी महाराज का समाधियुक्त शरीर दर्शनार्थ स्थापित करने से पूर्व भक्तों एवं दर्शनार्थियों की कतारबद्ध भीड़ बढ़ती जा रही थी। उनके जयघोषों के साथ साढ़े आठ बजे गोरक्षपीठ के उत्तराधिकारी पूज्य योगी आदित्यनाथ जी महाराज ने विधि-विधानपूर्वक परमपूज्य महन्त जी महाराज को भक्तों के दर्शनार्थ प्रस्तुत किया और घण्टों पंक्ति में खड़े रहकर शोकाकुल भक्त पूज्य महन्त जी महाराज का दर्शन कर उन्हें पुष्पांजलि अर्पित करने लगे। उनका दर्शन कर पुष्पांजलि देने का यह क्रम अगले दिन उनके समाधिस्थ होने तक चलता रहा।
14 सितम्बर को निशा की कालिमा का रंग जैसे-जैसे हल्का होता गया, भोर से ही वरुण देवता गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज की समाधि के साक्षी बनने को बेताब हो उठे। उन्होंने अपने कोष का सारा जल ब्रह्मलीन महाराज जी को नहलाने हेतु गोरखपुर में उड़ेल रखा था। मूसलाधार बारिश में भी श्री गोरक्षनाथ मन्दिर का परिसर भक्तों-श्रद्धालुओं से खचाखच भर चुका था। देश भर से साधु-सन्त श्री गोरक्षनाथ मन्दिर पहुँच चुके थे। दस बजकर पचास मिनट पर भारत के इस महान राष्ट्र सन्त की समाधि तय थी। समाधि के समय एकाएक जल-वर्षा बन्द हुई और फिर पुष्पवर्षा के साथ गुरु श्री गोरक्षनाथ मन्दिर की परिक्रमा कर विधि-विधानपूर्वक राष्ट्रीयता के अनन्य साधक एवं इस शताब्दी के महामानव ने महासमाधि ले ली। हम सभी विधि के विधान के आगे बेबस खड़े देखते रह गए.........।