ऊँ नमो भगवते गोरक्षनाथाय | धर्मो रक्षति रक्षितः | श्री गोरक्षनाथो विजयतेतराम | यतो धर्मस्ततो जयः |     Helpline 24/7: 0551-2255453, 54 | योग-वाणी

गोरक्षपीठाधीश्वर, गोरक्षपीठ

वर्तमान गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त योगी आदित्यनाथ जी महाराज:-

गोरक्षपीठ गोरखपुर ब्रह्मलीन युग पुरुष महंत दिग्विजयनाथ जी के समय से नाथ सम्प्रदाय एवं साधना के साथ ही हिन्दुत्व के प्रचार/प्रसार का गढ़ रहा है। गोरक्षपीठाधीश्वर महन्त अवेद्यनाथ जी महाराज अपनी बढ़ती आयु एवं अस्वस्थता के कारण चिन्तित थे। उन्हें एक सद्शिष्य की तलाश थी जो इस पीठ के परम्परागत अभियान के उत्तरदायित्व का निर्वहन कर सके। अन्ततः यह तलाश पूर्ण हुई। नाथ योग सिद्धपीठ गोरक्षनाथ-मन्दिर गोरखपुर के योग तपोमय पावन परिसर में शिव गोरक्ष महायोगी गोरखनाथ जी के अनुग्रह स्वरूप वसंत पंचमी माघ शुक्ल 5 सम्वत् 2050 वि. तदनुसार 15 फरवरी सन् 1994 शुभ तिथि पर गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथजी द्वारा मांगलिक वैदिक मन्त्रोच्चारपूर्वक उनके उत्तराधिकारी पट्टशिष्य आदित्यनाथजी का दीक्षाभिषेक सम्पन्न हुआ।

देवाधिदेव भगवान महादेव की उपत्यका में स्थित देव-भूमि उत्तराखण्ड में 5 जून सन् 1972 को जन्मे एवं माता-पिता द्वारा प्रदत्त अजय सिंह नाम वाले कल के युवक ही वस्तुतः आज के योगी आदित्यनाथ जी हैं। विज्ञान स्नातक योगी आदित्यनाथ जी महाराज के विश्व-विश्रुत कृतित्व एवं व्यक्त्तित्व से सारे भारतवर्ष के ही नहीं अपितु भारत के बाहर के देशों में भी जहाँ-जहाँ हिन्दू रहते हैं, भलीभाँति परिचित हैं। इनकी व्यवहार कुशलता, दृढ़ता, कर्मठता, हिन्दुत्व निष्ठा असंदिग्ध है। योगी जी के युवा नेतृत्व में थोड़े ही समय में सम्पूर्ण पूर्वी उत्तर प्रदेश में हिन्दुत्व का जो तेजोमय पुनर्जागरण हुआ है, वह युगान्तरकारी है।

योगी जी जैसे तेजस्वी, ऊर्जावान तथा अनन्त संभावनाओं से भरे कृती युवा के करिश्माई व्यक्तित्व का आकलन बड़ा ही कठिन है। अपने परम पूज्य गुरुदेव गोरक्षपीठाधीश्वर महंत अवेद्यनाथजी महाराज एवं अपने दादा गुरु ब्रह्मलीन महंत दिग्विजयनाथजी को अपना आदर्श एवं प्रेरणास्रोत मानने वाले योगी जी विलक्षण प्रतिभा के धनी हैं। अपने गुरु महाराज की हर कथनी को करनी में क्रियान्वित करने को निरन्तर तत्पर योगी जी हठ योग साधना के सैद्धान्तिक, व्यावहारिक प्रक्रिया में पटु, भारतीय संस्कृति, विशेष रूप से हिन्दुत्व के प्रति पूर्ण रूप से समर्पित हैं।

योगी जी की भौतिक उपलब्धियों में सन् 1998 में भारतीय संसद में सबसे कम उम्र में सांसद के रूप में चुना जाना, सन् 1997 में पंचम विश्व हिन्दू महासंघ के आयोजन के कर्णधार एवं सूत्रधार, सन् 1999 में दुबारा सांसद के रूप में चुना जाना, सन् 2003 में विश्व हिन्दू महासंघ के तत्वावधान में सप्तम् विश्व हिन्दू महासम्मेलन तथा सन् 2006 में विश्व हिन्दू महासम्मेलन का दुर्लभ ऐतिहासिक आयोजन, सन् 2004, 2009 व 2014 में लोक सभा चुनाव भारी बहुमत से जीतना आदि है। यशस्वी और तेजस्वी पुरुष अपने कृतित्व एवं पुरुषार्थ के लिए उम्र के मोहताज नहीं होते। योगी जी ने थोड़े समय में ही अपनी स्फूर्त सेवा भावना, परदुःख कातरता, कर्मठता, सूझबूझ तथा भगीरथ प्रयत्नों द्वारा हीनताबोध से ग्रस्त मूर्च्छित-प्राय हिन्दू समाज में संजीवनी का कार्य किया है।

वस्तुतः हिन्दू युवा वाहिनी का गठन इसी सोच का परिणाम है। पूर्वांचल में विभिन्न स्थलों पर हिन्दू संगमों का आयोजन भी इसी श्रृंखला की कड़ी है।

संप्रति विश्व हिन्दू महासंघ की भारत इकाई के अध्यक्ष, गोरखपुर के लोकप्रिय सांसद, हिन्दू युवा वाहिनी, पूर्वांचल विकास मंच, श्रीराम शक्ति प्रकोष्ठ आदि के संरक्षक योगी जी स्वधर्म एवं स्वराष्ट्र के प्रति अत्यन्त संवेदनशील हैं। ओजस्वी वक्ता, योग एवं अध्यात्म के कुशल अध्येता योगी जी सिद्धहस्त लेखक भी हैं। इनकी लिखी दो पुस्तकें हठयोग स्वरूप एवं साधना तथा राजयोग स्वरूप एवं साधना काफी लोकप्रिय हैं। गुरु महाराज द्वारा प्रदत्त नाम के अनुरूप आचरण, तीक्ष्णबुद्धि, दृढ़ इच्छा शक्ति, विचार में सागर -सी गहराई, दीन-दुःखियों की मदद को सदैव तत्पर योगीजी को हिन्दू जनता अपने रक्षक के रूप में देखती है।