मन्दिर-परिसर के दर्शनीय स्थल:-
महाबली भीमसेन
मन्दिर के प्रांगण में सरोवर के सन्निकट महाबली भीमसेन का मन्दिर है। भीमसेन धर्मराज युधिष्ठिर के राजसूय यज्ञ में पधारने के लिए योगेश्वर गोरक्षनाथ जी को निमंत्रित करने आये थे। उस समय गोरक्षनाथजी समाधि में लीन थे। अतः दर्शन के लिए प्रतीक्षा करनी पड़ी थी और इनके शरीर के भाग से पृथ्वी का एक अंश धँस गया था। उसी की स्मृति में यहाँ सरोवर बनाया गया।
योगिराज ब्रह्मनाथजी, गम्भीरनाथजी, दिग्विजयनाथजी एवं अवेद्यनाथजी की मूर्तियाँ
श्रीगोरखनाथ-मन्दिर के दक्षिणपार्श्व में योगिराज ब्रह्मनाथजी, योगिराज बाबा गम्भीरनाथजी और महंत दिग्विजयनाथजी महाराज,और महंत अवेद्यनाथजी के समाधि-मन्दिर हैं जिनमें उनकी संगमरमर निर्मित प्रतिमाएँ प्रतिष्ठित हैं।
मठ गोरक्षपीठाधीश्वर का निवास
गोरखनाथ-मन्दिर के दक्षिणांचल में सन्निकट ही अत्यंत भव्य गोरखनाथमठ स्थित है। इस मठ में गोरक्षपीठाधीश्वर निवास करते हैं। यह मठ दो मंजिला है, इसमें अतिथि-निवास, पुस्तकालय, सत्संग भवन, कार्यालय, कोठार और भण्डार आदि के अनेकानेक कक्ष संलग्न हैं। मठ के ऊपरी भाग में भगवती दुर्गाजी की मूर्ति स्थापित है, सत्संग भवन अनेक सुन्दर दुर्लभ चित्रों से समलंकृत है। मन्दिर की ओर से प्रकाशित ग्रन्थों में गोरखदर्शन, फिलॉसफी ऑफ गोरखनाथ, नाथयोग, आदर्श योगी, योगरहस्य, महंत दिग्विजयनाथ स्मृतिग्रन्थ, महंत अवेद्यनाथ स्मृतिग्रन्थ आदि यहाँ विशेष रूप से संग्रहीत हैं। ‘योगवाणी’ नामक अध्यात्म, संस्कृति, धर्म, सदाचार की पोषक मासिक पत्रिका का संपादन भी यहीं से होता है। सत्संग कक्ष में तथा पुस्तकालय में नाथ-सिद्धों के संगमरमर पर बने चित्र अंकित हैं उनकी संक्षिप्त वाणियाँ भी अंकित हैं।
पवित्र भीम सरोवर
गोरखनाथ मन्दिर के प्रांगण में एक पक्का सरोवर है। इसमें भारतवर्ष के समस्त तीर्थों का जल पड़ा हुआ है। इसे भीम सरोवर कहते हैं। इसका वर्णन भीमसेन के प्रसंग में आ चुका है।
अन्य समाधि स्थल
मन्दिर-प्रांगण में कई स्थानों पर पूर्ववर्ती महन्तों और नाथ-सिद्धों के समाधि-स्थल भी हैं, जिनकी प्रतिदिन विधिपूर्वक पूजा आरती होती है।